16-Oct-2024
Monday, January 01, 2045
शिव पुराण में कितने अध्याय हैं | और क्या-क्या है - परिचय और पढ़ने में कितना समय लगेगा

शिव पुराण में कितने अध्याय हैं | और क्या-क्या है - परिचय और पढ़ने में कितना समय लगेगा

Radha Krishna

Introduction:

शिव पुराण हिंदू धर्म के सबसे पवित्र और प्रमुख पुराणों में से एक है। इसमें भगवान शिव की महिमा, उनकी कहानियाँ, शिक्षाएँ, और उनके भक्तों की कथाएँ वर्णित हैं। यह पुराण न केवल धार्मिक बल्कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस लेख में, हम शिव पुराण के अध्यायों की संख्या, उनके भीतर की कहानियों, और इसे पढ़ने में लगने वाले समय का विस्तार से विश्लेषण करेंगे।


1. शिव पुराण का परिचय:

शिव पुराण का महत्व

शिव पुराण 18 प्रमुख पुराणों में से एक है और इसमें 24,000 से अधिक श्लोक हैं। यह पुराण भगवान शिव की महिमा, उनकी लीलाएँ, और उनके भक्तों की आस्था की कहानियों का विस्तार से वर्णन करता है। इसमें ब्रह्मा, विष्णु, और शिव के त्रिदेव स्वरूप की भी चर्चा की गई है।

शिव पुराण की उत्पत्ति और रचनाकार

ऐसा माना जाता है कि शिव पुराण की रचना वेदव्यास जी ने की थी। इसमें भगवान शिव के विभिन्न रूपों और उनके परिवार (पार्वती, गणेश, और कार्तिकेय) से संबंधित अनेक कहानियाँ हैं।


2. शिव पुराण में अध्यायों की संख्या:

विभिन्न अध्यायों का विवरण

शिव पुराण में कुल 12 संहिताएँ (अध्याय) हैं:

  1. विद्येश्वर संहिता – इसमें भगवान शिव की उपासना और उनके स्वरूप का वर्णन है।
  2. रुद्र संहिता – यह संहिता पांच भागों में विभाजित है और शिव-पार्वती विवाह, गणेश एवं कार्तिकेय जन्म, तथा त्रिपुरासुर वध की कथा बताती है।
  3. शतरुद्र संहिता – इसमें रुद्र अवतार और भगवान शिव के उपदेश हैं।
  4. कोटिरुद्र संहिता – शिव उपासना के विभिन्न प्रकारों का वर्णन।
  5. उमासंहिता – माता पार्वती की महिमा और उनकी शिव से मिलन की कथा।
  6. कैलबासंहिता – कैलाश पर्वत पर भगवान शिव के निवास की कथा।
  7. वायवीय संहिता – इस संहिता में शिव के शक्तिशाली और विनाशक रूप का वर्णन है।
  8. धर्म संहिता – शिव भक्ति के मार्ग और धार्मिक कृत्यों की जानकारी।
  9. वायू संहिता – भगवान शिव की विविध कथाएँ और उनकी उपासना के तरीके।
  10. लिंग पुराण – शिवलिंग की उत्पत्ति और महिमा।
  11. सौर संहिता – सूर्य देव के माध्यम से शिव की आराधना का उल्लेख।
  12. ललिता संहिता – इसमें माता ललिता देवी का वर्णन है।

प्रमुख कथाएँ और कहानियाँ

इन संहिताओं में शिव-पार्वती विवाह, रावण की शिव भक्ति, त्रिपुरासुर वध, दक्ष यज्ञ, और अंधकासुर वध जैसी महत्वपूर्ण कथाएँ शामिल हैं, जो भगवान शिव की शक्ति और उनके भक्तों की भक्ति की महिमा को दर्शाती हैं।


3. शिव पुराण पढ़ने में लगने वाला समय:

अध्यायों की लंबाई और पढ़ने का अनुमानित समय

शिव पुराण में कुल मिलाकर लगभग 24,000 श्लोक हैं। यदि आप इसे प्रतिदिन 1-2 घंटे पढ़ते हैं, तो पूरा शिव पुराण पढ़ने में लगभग 30-40 दिन लग सकते हैं। हालाँकि, अगर आप इसे समझकर और चिंतन करके पढ़ते हैं, तो यह प्रक्रिया अधिक समय ले सकती है।

पढ़ने का समय अध्यायों की संख्या
प्रति दिन 1 घंटा लगभग 40-45 दिन
प्रति दिन 2 घंटे लगभग 20-25 दिन

इसे पढ़ने के लिए सुझाव

  • प्रतिदिन एक अध्याय का अध्ययन करें।
  • ध्यान और एकाग्रता के साथ पढ़ें।
  • प्रत्येक अध्याय के अंत में चिंतन करें और समझने की कोशिश करें कि भगवान शिव क्या सिखा रहे हैं।

4. शिव पुराण का अध्ययन कैसे करें:

सरल तरीके और संदर्भ ग्रंथ

  • संस्कृत और हिंदी अनुवाद: यदि आप मूल श्लोकों को नहीं समझते हैं, तो आप हिंदी अनुवाद का सहारा ले सकते हैं।
  • ऑडियो बुक्स: वर्तमान में ऑनलाइन कई ऑडियो बुक्स उपलब्ध हैं, जो आपको सुनते हुए पढ़ने की सुविधा देती हैं।

ऑनलाइन और प्रिंट संस्करण की उपलब्धता

शिव पुराण के कई ऑनलाइन पीडीएफ संस्करण, किंडल संस्करण, और प्रिंट संस्करण उपलब्ध हैं। आप इसे अमेज़न, गूगल बुक्स, या अन्य वेबसाइटों से प्राप्त कर सकते हैं।


5. निष्कर्ष:

शिव पुराण भगवान शिव के जीवन, लीलाओं, और उपदेशों का भंडार है। इसे पढ़ना न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे जीवन के कई पहलुओं को भी समझने में सहायक है। शिव पुराण को पढ़कर हम भगवान शिव के गुणों को अपने जीवन में उतार सकते हैं और उनकी भक्ति में मन लगा सकते हैं।

2024-09-23 17:25:40
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